- वास्तविक नाम- राम कृपालु त्रिपाठी
- प्रसिद्ध नाम- कृपालु जी महाराज
- उपाधि- जगतगुरु ( 14 जनवरी 1957 को 34 साल की उम्र में काशी विधा परिषद द्वारा )
- सर्वोच्च उपाधि- जगतगुरुत्तम
- संस्था- जगद्गुरु कृपालु परिषद्
- संस्थापक-
- प्रेम मंदिर एवं श्यामा श्याम धाम वृंदावन, मथुरा, उत्तर प्रदेश
- भक्ति मंदिर एवं भक्ति भवन मनगढ़, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
- कीर्ति मंदिर व रंगीली महल बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश
- राधा माधव धाम, अस्टिन, टेक्सास, अमेरिका
- जगतगुरु कृपालु चिकित्सालय (वृंदावन/बरसाना/मथुरा)
- कृपालु बालिका विद्यालय (वृंदावन/बरसाना/मथुरा)
- कृपालु नेत्र चिकित्सालय (वृंदावन/बरसाना/मथुरा)
- जन्म- 5 अक्टूबर 1922 ( संभवतया शरद पूर्णिमा )
- मृत्यु- 15 नवंबर 2013 ( उम्र 91 वर्ष )
- जन्म स्थान- मनगढ़, प्रतापगढ़
- पिता- ललिता प्रसाद त्रिपाठी
- माता- भगवती देवी
- विवाह- 1933 में मात्र 13 वर्ष की अवस्था में
- पत्नी- पदमा त्रिपाठी
- बेटियाँ- श्यामा त्रिपाठी (वृंदावन), विशाखा त्रिपाठी (मनगढ़), कृष्णा त्रिपाठी (बरसाना)
- बेटे- घनश्याम एवं बालकृष्ण
- प्राथमिक शिक्षा- ननिहाल मनगढ़ के प्राथमिक विद्यालय से 7 वी तक की शिक्षा
- संस्कृत की शिक्षा- 1933 में संस्कृत विद्यालय पीली कोठी, चित्रकूट
- संस्कृत की उच्च शिक्षा- 1936 में काशी से व्याकरणाचार्य की उपाधि
- आयुर्वेद की शिक्षा- 1937 में आष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय, महू, इंदौर, मध्य प्रदेश
- एकांतवास - चित्रकूट का सारभंग आश्रम एवं वृंदावन का वंशीवट के जंगल
- काव्यतीर्थ- 1942 में इंदौर से काव्य की परीक्षा उत्तीर्ण करके काव्य तीर्थ की उपाधि ग्रहण की
- आयुर्वेदाचार्य- 1943 दिल्ली विद्यापीठ से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि
- साहित्याचार्य- 1944 कलकत्ता विद्यापीठ से साहित्याचार्य की उपाधि
- आयोजन- 1955 में पूरे भारत के विद्वानों को बुलाकर चित्रकूट में विशाल धार्मिक सम्मेलन का आयोजन
- दूसरा आयोजन- 1956 कानपुर में एक और विशाल धार्मिक सम्मेलन
- प्रथम आमंत्रण- 1957 में काशी विधा परिषद में 7 दिनों तक प्रवचन
- भारत भ्रमण- 14 वर्षों तक भारत के विभिन्न भागों में अपने आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसारण