एक फकीर भटकते हुए 20 अगस्त 1967 को सई नदी के किनारे चिलबिला के घने जंगलों में आकर एक कुटी का निर्माण करके रहने लगा। यही पर 20 अक्टूबर सन 1989 को उनका देहांत हुआ। तब से आज तक ये आश्रम बिना घर और खाने के लिए भटके रहे लोगों के लिए एकाध रात गुजारने की शरण स्थली बन चुका है। चूंकि उस फकीर की मृत्यु सई नदी के किनारे हुई थी इसलिए इस जगह को आज सत्य साई दाता आश्रम के नाम से जाना जाता है।
साई दाता आश्रम, चिलबिला, प्रतापगढ़ ( Sai Data Ashram, Chilbila, Pratapgarh )
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