1850 के आस-पास रायबरेली के बैसवारा से आकर त्रिलोकचंदी बैस राजपूत शमशेर बहादुर सिंह मांधाता के निकट एक सूनसान जगह पर आकर बसे। कृषि करके परिवार के साथ जीवन-यापन करने लगे। इनके तीन पुत्र पैदा हुए। सुखदेव, जगदेव एवं गोपाल। इन तीनों भाइयों ने मिलकर हवेली का निर्माण कराया। सुखदेव एवं जगदेव को कोई संतान सुख नहीं मिला। गोपाल के पुत्र उदयपाल से वंश आगे बढ़ा। आगे चलकर इनकी तीन संतानें हुई- लालजी, भूपेन्द्र प्रताप सिंह एवं कृष्ण प्रताप सिंह। लालजी अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं बाकी के दो भाई भूपेन्द्र एवं कृष्ण खेती एवं मुर्गी फार्म का व्यवसाय करके आज भी जद्दोपुर की हवेली में निवास करते हैं। यह हवेली प्रतापगढ़-प्रयागराज सड़क पर स्थित देल्हूपुर के बाद पुलिस चौकी रामफल इनारी से छितपालगढ़-मांधाता की तरफ जाने वाले मार्ग पर देल्हूपुर बाजार से 7 किलोमीटर पर स्थित है।
जद्दोपुर हवेली, प्रतापगढ़ ( Jaddopur Haweli Pratapgarh )
11:59:00 am
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