प्रतापगढ़ घंटा घर से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है पट्टी तहसील। जहां राजपूत
चौराहे से 6.6 किलोमीटर पर नहर के किनारे बसा हुआ है एक छोटा सा गाँव- महदहा।
जहां 1977-78 एवं 1978-79 में हुई खुदाई से कई मानव कंकाल बाहर निकले। जिन्हें
पूर्व-पश्चित दिशा में दफनाया गया था। प्रयागराज विश्वविद्यालय के डॉ. बी. बी.
लाल ने इन्हें मध्य पाषाण काल के अवशेषों के रूप में प्रमाणित किया है। यानि
१२,००० साल से लेकर १०,००० साल के बीच का कालखंड। दो ऐसी कब्रें थी जिसमें स्त्री
एवं पुरुष के कंकाल साथ में मिले थे। ये अनोखी बात है कि ऐसा क्यों था? क्या
पुरुष के मरने बाद स्त्रियों को भी उस समय जिंदा या फिर बेहोश करके या जहर देकर
साथ में ही दफना दिया जाता था? कब्रों को जिस तरह से संरक्षित किया गया था उससे
ये मालूम होता है कि ये लोग उस समाज के प्रधान या मुखिया रहे होंगे। यानि आज से
10 हजार साल पहले समाज की रूप रेखा विकसित हो चुकी थी। लेकिन ध्यान देने वाली बात
ये है कि मिट्टी के किसी भी तरह के बर्तन नहीं मिले। यानि उस समय तक मानव ने
पहियों का आविष्कार नहीं किया था। पुरुष के मानव कंकालों की औसत ऊंचाई 1.92 मीटर
यानि 6 फिट से भी अधिक और स्त्रियों की 1.78 मीटर थी। यानि ये समाज पूरी तरह से
हष्ट-पुष्ट था। सराय नाहर राय की ही तरह यहाँ से भी मिट्टी के चूल्हे पाए गए
जिसमें जानवरों और पंक्षियों की जली हुई हड्डियाँ मौजूद थी। इससे ये बात स्पष्ट
होती है कि मानव मूल रूप से मांस भक्षी था।
गाँव वालों के अनुसार महदहा नहर की खुदाई के समय एक मजदूर का फावड़ा कंकाल के सिर से टकराया। उसने इसे अधिक गंभीरता से न लेकर पास उगी झाड़ियों में फेंक दिया। एक दिन वहाँ से गुजर रहा एक चरवाहा उस खोपड़ी को अपनी लाठी में फंसा कर घर ले आया। खेत में जानवरों को भगाने के लिए उसने एक बिजूका बनाई और उसके सिर पर ये खोपड़ी लगा दी। गाँव के एक चौकीदार ने आशंका से भयभीत होकर इसकी जानकारी पुलिस को दी। बाद में पुलिस, जिलाधिकारी एवं पुरातत्व विभाग द्वारा यहाँ खुदाई कराई गई और 10,000 साल पुराने मानव कंकाल का रहस्य सामने आया।
गाँव वालों के अनुसार महदहा नहर की खुदाई के समय एक मजदूर का फावड़ा कंकाल के सिर से टकराया। उसने इसे अधिक गंभीरता से न लेकर पास उगी झाड़ियों में फेंक दिया। एक दिन वहाँ से गुजर रहा एक चरवाहा उस खोपड़ी को अपनी लाठी में फंसा कर घर ले आया। खेत में जानवरों को भगाने के लिए उसने एक बिजूका बनाई और उसके सिर पर ये खोपड़ी लगा दी। गाँव के एक चौकीदार ने आशंका से भयभीत होकर इसकी जानकारी पुलिस को दी। बाद में पुलिस, जिलाधिकारी एवं पुरातत्व विभाग द्वारा यहाँ खुदाई कराई गई और 10,000 साल पुराने मानव कंकाल का रहस्य सामने आया।