प्रतापगढ़ में सुखपाल नगर तिराहे से 2 किलोमीटर दूरी पर ग्रामसभा वनवीर कच्छ में सई और सकरनी नदी के संगम पर स्थित है पंच सिद्ध धाम। इस स्थान के विषय में पौराणिक ग्रंथों में जो साक्ष्य उपलब्ध हैं उसके अनुसार-
माता मदालसा के चार पुत्र हुए- विक्रांत, सुबाहु, अरिमर्दन तथा अलर्क। विक्रांत, सुबाहु, अरिमर्दन को माता मदालसा ने राज पाठ का त्याग करके सन्यास ग्रहण करने की शिक्षा दी लेकिन चौथे पुत्र अलर्क को अपने पति ऋतु ध्वज के कहने पर राज पाठ एवं धर्म का ज्ञान दिया ताकि राज परंपरा आगे चलती रहे। राजा अलर्क ने काशी का विस्तार किया। उनके कार्यकाल में काशी की गाथा धर्म, ज्ञान, व्यापार एवं आध्यात्म से दूर-दूर तक फैली। उचित समय आने पर माता मदालसा के कहने पर काशी का राज-पाठ अपने पुत्र को सौप कर उन्होंने सन्यास धारण किया और जंगलों में भ्रमण करते हुए सई और सकरनी नदी के संगम पर पहुँचे। यहां एक पीपल के वृक्ष के नीचे विश्राम करते हुए उनका प्राणांत हुआ। पुराणों में उनकी मृत्यु को पंच तत्व सिद्ध कहा गया अर्थात जब किसी सन्यासी की मृत्यु भूमि पर लेटकर, खुली हवा में सांस लेते हुए, जलाशय के निकट (सई-सकरनी का संगम ), अग्नि (दीपक की जलती हुई ज्वाला को देखते हुए) एवं खुले आकाश के नीचे हो तो उसे पंच तत्व सिद्ध कहा जाता है। ऐसी मृत्यु को पाने वाला व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है।